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भाषाएं
पूर्व और पश्चिम मे मेल करने के लिये, एक की सर्वोत्तम चीजें दूसरे को देने के लिये और एक सच्चा सामंजस्य लाने के लिये सब प्रकार के अध्ययन के लिये एक विश्व-विद्यालय की स्थापना की जायेगी और हमारा विद्यालय उसका केंद्र होगा ।
अपने विद्यालय मे मैंने फ्रेंच भाषा को शिक्षा का माध्यम बनाया है । इसका एक कारण यह हैं कि फ्रेंच संसार की सांस्कृतिक भाषा है । बच्चे भारतीय भाषाएं जस पीछे सीख सकते हैं । अगर अभी भारतीय भाषाओं पर ज्यादा जोर दिया जाये, तो भारतीय मानस की स्वाभाविक वृत्ति के अनुसार वह प्राचीन साहित्य, संस्कृति और धर्म मे फंसा जायेगा । तुम भली-भांति जानते हों कि हम प्राचीन भारतीय चीजों का मूल्य स्वीकार करते हैं, लेकिन हम यहां कुछ नया सृजन करने के लिये हैं, कुछ ऐसी चीज लाने के लिये हे जो धरती के लिये एकदम नयी होगी । इस प्रयास मे, यदि तुम्हारा मन पुरानी चीजों से बंधा रहे तो वह आगे बढ़ने से इंकार करेगा । भूतकाल के अध्ययन का अपना स्थान हैं, लेकिन उसे भविष्य के काम मे बाधा न देनी चाहिये !
* क्या फ्रेंच को एक विशेष भाषा के रूप मे लिया जाये जो बच्चों को पहत्हे आपके साथ और फिर सुन्दरता के अमुक स्पंदनों के सक् संपर्क ये जायेगी?
कुछ-कुछ ऐसा हीं हैं ।
मैं बस, इतना कह सकती हू कि हमारा विद्यालय सारे भारत मे फ्रेंच पढ़ाने के लिये सबसे अच्छे विद्यालयों मे सें एक-शायद सबसे अच्छा-माना जाता हैं और मेरा ख्याल हैं कि इस प्रशंसा के योग्य होना अच्छा हैं ।
१९६ यहां के बच्चों के साथ संबंध के विषय मे, मै हमेशा उनके साथ फ्रेंच मे हीं बोलती हू ।
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विज्ञान क्रैक मे क्यों पढ़ाया जाये?
इसके बहुत-से कारण हैं, ज्यादा गहरे कारण कहे बिना तुम्हें अपने हृदय मे मालूम होने चाहिये ।
बाहरी कारणों मे मै कह सकतीं हू कि फ्रेंच बहुत ज्यादा सुशिक्षित और यथार्थ भाषा होने के कारण विज्ञान के लिये अंग्रेजी से ज्यादा अच्छी है । अंग्रेजी कविता के लिये बहुत ज्यादा श्रेष्ठ हैं ।
कुछ व्यावहारिक कारण भी हैं जिनमें यह तथ्य भी हैं कि उन सबके लिये जिन्हें बड़े होकर अपनी आजीविका कमानी होगी, जिन्हें फ्रेंच का अच्छा ज्ञान होगा वे बहुत आसानी सें काम पा लेंगे ।
आशीर्वाद ।
(९ -२ -१९६९)
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फ्रेंच निश्चय ही सबसे अधिक सुशिक्षित और स्पष्ट भाषा हैं, लेकिन आध्यात्मिक दृष्टि सें यह सत्य नहीं हैं कि फ्रेंच उपयोग के लिये सबसे अच्छी भाषा अंग्रेजी मे सुनम्यता है, एक प्रवाह हैं जो फ्रेंच मे नहीं हैं, और यह सुनम्यता अनिवार्य ३ उस चीज को न बिगड़ने के लिये जो अनुभूति मे मन के द्वारा अभिव्यक्त और रूपायित चीजों से बहुत ज्यादा विशाल और व्यापक हैं ।
(जनवरी १९५०) *
(अनुवाद के बारे में)
(बोते) = मेहरबानी और सद्भावना; (बिऐवेइयास) हर चीज के अच्छे पक्ष को देखना । यह मात्र आशावाद नहीं है जो बुरी चीजों की ओर सें आंखें मूँद लेता है । यह एक चैत्य दृष्टि हैं जो हर जगह 'शुभ' देखती है ।
ऐसे बहुत-से शब्द हैं जिनका अनुवाद नहीं किया जा सकता । श्रीअरविन्द के हास्य और व्यंग्य का फ्रेंच मे अनुवाद नहीं किया जा सकता । जब अंग्रेजी हास्य को फ्रेंच मे
१९७ अनूदित किया जाता हैं तो वह मूढतापूर्ण और नीरस लगता हैं; जब फ्रेंच हास्य को अंग्रेजी मे अनूदित किया जाता है तो वह कूर और निरर्थक बन जाता हैं । ये दोनों भाषाएं इतनी अधिक समान मालूम होती हैं फिर भी, दोनों की प्रतिभा एकदम भिन्न है । ''
(४-७-१९५६) *
मैं कल तुम्हें किताब प्रार्थना और ध्यान भुजंगी लेकिन तुम जो पढ़ते हो उसे भली-भांति समझने के लिये तुम्हें व्याकरण का अच्छा अध्ययन करना चाहिये ।
(२०-६-१९३२)
मैं अच्छी फ्रेंच शैली कहां सीख?
यह व्याकरण की उच्चस्तरीय पुस्तकों मे सिखायी जाती हैं, और इसके लिये विशेष पुस्तकें भी होती हैं । शैली के मुख्य नियमों मे से एक यह ३ कि जब तक एकदम अनिवार्य न हों जाये गद्य लेखों मे ''मैं '' का प्रयोग न किया जाये और किसी हालत में एक के बाद एक दो वाक्य कभी ''मै' ' से शुरू न किये जायें । इससे तुम्हें यह अंदाजा होगा कि अपनी दैनिक रिपोर्ट लिखते समय तुम्हें उसमें शैली लाने के लिये क्या करना चाहिये!
(२० -७-१९३३)
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फ्रेंच सरलता और स्पष्टता के साथ लिखी जानी चाहिये ।
(२९-९-१९३३)
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सरलता और स्पष्टता से लिखी गयी फ्रेंच ज्यादा अच्छी होती हैं; जटिल बिम्ब का ढेर भाषा को आडम्बरपूर्ण बना देता हैं ।
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१९८ मेरी प्यारी इन्हीं मुस्कान
तुम्हारी बात बिलकुल ठीक ३, मैं कोई कारण नहीं देखती कि तुम मजेदार चीजें पढ़ने की जगह, उबानेवाले अभ्यास क्यों करो ।
भाषा सीखने के लिये पढ़ना, पढ़ना, पढ़ना-तथा जितना हो सके उतना बोलना चाहिये ।
मेरे समस्त प्रेम के साथ ।
(१० -७ -१९३५)
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मैं फिर ले फेंच अध्ययन शुरू करना चाहता हूं विशेषकर बतकहा माप कुछ देगी !
सबसे अच्छा यह है कि बोलों... हिम्मत के साथ हर मौके पर ।
माताजी क्या आप कुछ अच्छे लेखकों क्वे नाम बता सकेगी जिनकी कृतियों मैं पड़ सकूं?
अगर फ्रेंच पढ़नी है तो फ्रेंच साहित्य की कोई पायता-पुस्तक अध्ययन के लिये ले लो और उसमें उल्लिखित लेखकों की एक-एक दो-दो पुस्तकें पढो । शुरू है आरंभ करो, यानी, प्रारंभिक लेखों से शुरू करो ।
(२२ -१ -१९३६)
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अगर नाप पसंद करें तो मैं एक अपनी पसंद की पुस्तक क्षमा और आपकी सलाह के अनुसार फ्रेंच के किसी प्रांरभिक लेखक की?
मैंने यह नहीं कहा कि तुम्हें केवल प्रांरभिक लेखकों की कृतियों ही पढ़नी चाहिये; मैंने कहा था पाक्य-पुस्तक मे जिन लेखकों का उल्लेख हैं उनमें से हर एक की एक- दो पुस्तकें पढो और शुरू करो प्रारंभिक लेखकों से ।
(२४ -९ -१९३६)
* १९९ माताजी मैंने फ्रेंच ' पढ़ना शुरू कर दिया है- 'स' ने एक दी है!
अच्छा है कि तुम बहुत-सी फ्रेंच पढ़ो, यह तुम्हें लिखना सीखा देगा ।
(७-४-१९६९)
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आज मैंने ई ५ की कक्षा त्9ाई और हमने 'वर्षसे आक द मादर' का पढ़ना और समझाना जारी रखा यद्यपि मैं सदा हंस पुस्तक की भाषा के सौंदर्य की ओर ध्यान खचित? रहता हुं फिर मी मैं हंस बात हेरबारे मे सचेतन हूं कि मैं अंग्रेजी पढ़ाने की अपेक्षा व्याख्या पर ज्यादा जोर देता हू !
यह बिलकुल ठीक हैं क्योंकि यह उन्हें अंग्रेजी मे सोचने के लिये बाधित करता हैं जो भाषा सीखने का सबसे अच्छा तरीका है ।
(२ -५ -१९४६)
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'क्ष' ने अपने दो लड़कों की पढ़ाई की के बारे मे आपकी राय पंछी हैं उठने अपने एक लड़के को बंबई के किसी हटेलियन मिशनरी स्कूल मे भरती कराया है जहां माध्यम अंग्रेजी है? और वह अपने बेटे को मी शीघ्र ही वहीं भरती कराना चाहता है लेकिन आजकल भारत मे भाषा को लेकर जो विवाद चर्म खा है हिसके कारण वह चकरा गया है और यह ठीक नहीं कर फ खा कि अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय मैं भेजे या अपनी मातृभाषा- मराठी- के विद्यालय मे अवस्था मै उसे विद्यालय बतकहा होगा वह इस मामले मे आपका पथ-प्रदर्शन चाहता है?
मातृभाषा ठीक है । लेकिन जो उच्चतर शिक्षण चाहते हैं, उनके लिये अंग्रेजी अनिवार्य है !
आशीर्वाद ।
(३-११-१९६७) *
इस समय हमारी 'उच्चतर कक्षाओं' के बहुत-से विद्यार्थी कोई मी भाषा इतनी अच्छी तरह नहीं जानते कि उसमें अपने विचार और भाव अच्छी तरह
२०० संवेदनशीलता के साथ व्यक्त कर सकें; माताजी इसकी जरूरत है श नहीं? अगर ३ तो उन्हें कौन-सी भाषा सिखनी चाहिये? एक सामान्य श अंतर्राष्ट्रीय मापा या अपनी मातृभाषा?
अगर सिर्फ एक ही सीखनी हैं तो ज्यादा अच्छा है कि यह (माताजी ने ''सामान्य या अंतर्राष्ट्रीय भाषा' ' के नीचे लकीर खींच दी) ।
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उपयोगिता की से हमारे कुछ विद्यार्थी साहित्यिक हिंदी नहीं सीखना चाहिये !
उन्हें दोनों सिखाओ, सच्ची भाषा और अब उसने क्या रूप ले लिया ३- वह वास्तव मे बहुत मजेदार होगा-तथा और चीजों की अपेक्षा यह उन्हें बुरी हिंदी बोलने की आदत से छुडा देगा।
क्या आप कहती हैं कि विद्यार्थियों की के बावजूद मैं हिन्दी पढ़ता चूल !
संकोच के बिना चलते चलो... ।
अमृत कहता है हिन्दी कक्षा की अपेक्षा उसकी तमिल कक्षा की अवस्था बहुत ज्यादा खराब हैं । वह कहता है कि अगर विद्यार्थी न भी आयें तब भी वह कक्षा जारी रहेगा- स्वयं अपने-आपको पायेगा!
(३० -९ -१९५९)
हिन्दी उनके लिये अच्छी है जो हिन्दी-भाषी प्रदेश से आये हैं । संस्कृत सभी भारतवासियों के लिये अच्छी है ।
मुझे भारतीय भाषाओं के लिये बहुत अधिक मान हैं और अब भी जब समय मिलता ३, संस्कृत पढ़ना जारी रखती हू ।
२०१ संस्कृत को भारत की राष्ट्र-भाषा होना चाहिये ।
(१९ -४ -११७१)
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जिन विषयों पर आपने और श्रीअरविन्द ने सीधे उत्तर दिये हैं उनके बारे मे हम मी ('श्रीअरविन्द कर्मधारा' वाले) ठीक-ठीक उत्तर दे सकते हैं उदाहरण के लिये... भाषा के मात्रे मे आपने कहा कि १ - स्थानीय भाषा को शिला का माध्यम होना चाहिये २ - संस्कृत को राष्ट्र-भाषा होना चाहिये और ३ - अंग्रेजी को ' भाषा होना चाहिये?
क्या हमारा यह उत्तर देना ठीक होगा?
हां ।
आशीर्वाद ।
(४-१०-१९७१)
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(ओरोवील में बढ़ायी जानेवाली भाषाएं) १
(१) तमिल (२) फ्रेंच (३) सरल संस्कृत जो भारत की भाषा के रूप मे हिन्दी का स्थान लेगी (४) अंतरराष्ट्रीय भाषा की हैसियत से अंग्रेजी
(१५-१२-१९७०)
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